लेखनी प्रतियोगिता -06-Mar-2024
चलें जाना
चलें जाना मेरे कदमों को गवारा नहीं था
जब दिल थाम उन्हें खड़ा था इश्क की
एक झलक एक हां एक उम्मीद की
रोशनी पानें के इंतजार में तब हमें चलें
जाना था एक फैसला था जिसे ले हमें
इश्क के काफिलों से आगे बढ़कर
जिंदगी के रास्तों पर चल लेना चाहिए था
कुछ देर के लिए ही सही अपने आंसुओं को
एक शाम की महफ़िल में पिरो लेना चाहिए था।
राखी सरोज
Gunjan Kamal
13-Mar-2024 10:20 PM
बहुत खूब
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kashish
09-Mar-2024 01:55 PM
Awesome
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Mohammed urooj khan
09-Mar-2024 01:21 PM
👌🏾👌🏾👌🏾
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